Apple नाम के फल से हम सभी परिचित हैं लेकिन इसे हिंदी में क्या कहेंगे – सेव या सेब? जब मैंने फ़ेसबुक पर यह सवाल किया तो 89% के भारी बहुमत ने दूसरे विकल्प के पक्ष में वोट दिया यानी सेब। 11% के अनुसार सही है सेव। नीचे हम तय करेंगे कि सही उत्तर क्या है।
आलिम सर की हिंदी क्लास यानी हिंदी शब्दों और व्याकरण से जुड़ी दुविधाओं का आसान भाषा में समाधान।
Apple नाम के फल से हम सभी परिचित हैं लेकिन इसे हिंदी में क्या कहेंगे – सेव या सेब? जब मैंने फ़ेसबुक पर यह सवाल किया तो 89% के भारी बहुमत ने दूसरे विकल्प के पक्ष में वोट दिया यानी सेब। 11% के अनुसार सही है सेव। नीचे हम तय करेंगे कि सही उत्तर क्या है।
किसी को विपत्ति के समय धैर्य या तसल्ली देना क्या कहलाता है – 1. ढाँढ़स देना 2. ढाँढस देना, 3. ढाढ़स देना या 4. ढाढस देना? इस पहली में दो प्रश्न हैं – पहला कि शुरू में ‘ढाँ’ होगा या ‘ढा’। दूसरा, बीच में ‘ढ़’ होगा या ‘ढ’। जब मैंने फ़ेसबुक पर यह पोल किया तो पहले तीन विकल्पों पर तक़रीबन बराबर वोट पड़े। सबसे अधिक 31% ‘ढाँढ़स’ पर जबकि ‘ढाँढस’ और ‘ढाढ़स’ के पक्ष में 29-29%। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
भक्त प्रह्लाद के बारे में आपने पढ़ा ही होगा। वह विष्णु का भक्त था जिस कारण उसका दैत्यराज पिता उससे सदैव नाराज़ रहता था। उसके पिता ने उसे मारने के कई प्रयास किए, यहाँ तक कि उसे आग में ज़िंदा जलाने की कोशिश भी की। मगर इस प्रयास में प्रह्लाद तो नहीं जला, उसकी बुआ होलिका जल गई। यहाँ तक तो आपको मालूम होगा। मगर क्या आप जानते हैं कि प्रह्लाद के पिता का नाम क्या था? हिरण्यकश्यप या हिरण्यकशिपु? आज की चर्चा इसी पर है। रुचि हो तो पढ़ें।
हव्वा, हौवा और हौआ – ये तीन शब्द हैं जिनपर आम तौर पर बहुत कन्फ़्यूश्ज़न होता है। कन्फ़्यूश्ज़न इस कारण कि ये दो तरह के अर्थों के लिए इस्तेमाल होते हैं। पहला, आदम की सहचरी के नाम के तौर पर, दूसरा, डराने के लिए प्रयुक्त एक काल्पनिक वस्तु के तौर पर। अब पहले अर्थ में क्या लिखा जाएगा और दूसरे अर्थ में क्या – यहीं पर भ्रम होता है और इसी भ्रम का निवारण हम इस चर्चा में करेंगे।
आप सब जानते होंगे कि स्वर्णमुद्रा यानी सोने के सिक्के को उर्दू में क्या कहते हैं? लेकिन क्या आप उसका सही उच्चारण जानते हैं? वह अशर्फ़ी है या अश्रफ़ी? आप कहेंगे, यह क्या बेतुका सवाल है! यह तो हर कोई जानता है – सोने के सिक्के को उर्दू में अशर्फ़ी कहते हैं। परंतु क्या यह नहीं हो सकता कि आप ग़लत जानते हों? चलिए, पहेली छोड़ते हैं और आगे जानते हैं – सही क्या है और क्यों है।