आम तौर पर अविवाहित महिलाओं के नाम के सुश्री लगाया जाता है। लेकिन क्या सुश्री कुँवारी महिलाओं के नाम के साथ ही लगाया जा सकता है, विवाहिताओं के नाम के आगे नहीं?
जैसी कि आम धारणा है, सुश्री पर किए गए शब्दपोल में 67% ने कहा कि यह अविवाहित स्त्रियों के नाम के आगे लगाया जाता है जबकि सच यह है कि सुश्री किसी भी स्त्री के नाम के आगे लगाया जा सकता है। सही जवाब देनेवाले 33% थे।
दरअसल हिंदी में शादीशुदा स्त्री के नाम के आगे ‘श्रीमती’ और अविवाहित स्त्री के नाम के आगे ‘कुमारी’ लगाने का रिवाज़ था। सुश्री लिखने का प्रचलन अंग्रेज़ी शब्द Ms (उच्चारण मिज़) से प्रेरित लगता है। अंग्रेज़ी में विवाहित स्त्रियों के लिए Mrs (मिसिज़) और अविवाहित स्त्री के लिए Miss (मिस) लिखा जाता था मगर यदि आपको किसी स्त्री की वैवाहिक स्थिति न मालूम हो तो उसे कैसे संबोधित करेंगे? यह एक बड़ी समस्या थी। इसके लिए रास्ता यह निकाला गया कि Mistress के लिए जो शॉर्ट फॉर्म था – Ms, उसे इस्तेमाल किया जाए। Ms (मिज़) का इस्तेमाल 17वीं शताब्दी में सभी स्त्रियों के लिए होता था जैसे Mr (मिस्टर) का इस्तेमाल सभी पुरुषों के लिए होता था चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं। लेकिन बाद की सदियों में इसका प्रचलन रुक गया। 20वी सदी की शुरुआत में इसका फिर से थोड़ा-बहुत इस्तेमाल होना शुरू हुआ लेकिन इसका व्यापक प्रचार-प्रसार नारीवादी आंदोलन के साथ ही हुआ जब महिलाएँ कहने लगीं कि जब पुरुष के नाम के आगे ऐसे कोई अलग-अलग शब्द नहीं लगाए जाते जिससे पता चले कि वे विवाहित हैं या अविवाहित तो स्त्रियों के लिए Miss (मिस) या Mrs (मिसिज़) क्यों हो। उनके लिए भी कोई एक शब्द हो।
जब विदेश में Ms (मिज़) का प्रचलन बढ़ा तो हिंदी में उसके समकक्ष शब्द की तलाश हुई और सुश्री को इसके उपयुक्त पाया गया क्योंकि इसका अर्थ था – सम्मानित स्त्रियों के नाम के आगे लगाया जानेवाला शब्द। सुश्री संस्कृत का शब्द है। देखें नीचे बाएँ सुश्री से संबंधित एंट्री का चित्र। यह हिंदी शब्दसागर से है जिसका प्रकाशन नागरी प्रचारिणी सभा ने किया था।
लेकिन बहुत कम लोगों को इसका वास्तविक अर्थ पता था। उसपर कुछ नए कोशकारों ने भी अपने शब्दकोश में इसका अविवाहित वाला अर्थ डालकर लोगों को और भरमाया (नीचे चित्र में देखें राजपाल प्रकाशन के शब्दकोश में संबंधित एंट्री का चित्र)। इस कारण ज़्यादातर लोग इसका यही अर्थ समझते हैं कि विवाहित स्त्रियों के नाम के आगे ‘श्रीमती’ लगाना है और कुमारी स्त्रियों के नाम के आगे ‘सुश्री’। सो आप अख़बारों और वेबसाइटों पर लिखा देख सकते हैं सुश्री मायावती, सुश्री उमा भारती, सुश्री ममता बनर्जी आदि-आदि। इन सबके नाम के आगे सुश्री लिखना ग़लत नहीं है लेकिन आप सुषमा स्वराज और सोनिया गाँधी के नाम के आगे भी सुश्री लगा सकते हैं।
उम्मीद है, अब जब आप सुश्री का अर्थ समझ गए हैं और उसका सभी स्त्रियों के लिए इस्तेमाल करेंगे। लेकिन एक समस्या आ सकती है। वह यह कि आप तो यह समझकर किसी के नाम के आगे सुश्री लगाएँ कि यह सभी स्त्रियों के नाम के आगे लगाया जा सकता है मगर पढ़ने वाले की जानकारी यह हो कि वह केवल अविवाहित स्त्रियों के नाम के आगे लगता है। ऐसे में लेखक और पाठक के बीच ग़लत संप्रेषण हो सकता है और वह शादीशुदा स्त्री को अविवाहित समझ सकता है। तब क्या करें? क्या इसका उपाय यह है कि हम हिंदी में सुश्री का अविवाहित वाला अर्थ मान लें भले ही संस्कृत में इसका अलग अर्थ हो?
लेकिन फिर अलविदा का क्या करेंगे जिसपर हमने पिछले सप्ताह ही पोल किया था और जाना था कि उसका सही अर्थ सिर्फ़ विदा होता है न कि हमेशा के लिए विदा हालाँकि बहुमत हमेशा वाला अर्थ ही सही समझता है। तो क्या सुश्री, अलविदा, अप्रवासी जैसे सारे शब्दों का बदला हुआ लेकिन ग़लत अर्थ हम स्वीकार कर लें और यह कह दें कि उर्दू या संस्कृत में तो उसका फलाँ अर्थ है लेकिन हिंदी में उसका अर्थ यह है।
5 replies on “7. सुश्री किसके नाम के आगे लगना चाहिए?”
Right sir
नहीं, सुश्री का रूढ़ अर्थ न लिया जाए उसका वास्तविक अर्थ लिया जाए और इसका प्रचार प्रसार किया जाए कि सुश्री स्त्री की वैवाहिक स्थिति को प्रदर्शित नहीं करता, यह सभी के नाम के सामने संबोधन के रूप में लगाया जा सकता है ।
आपकी क्लास सच मे बेहतरीन है
शुक्रिया। लेकिन इसमें मेरा अपना कुछ नहीं है। जो दूसरों से सीखता हूँ, वही यहाँ शेयर कर देता हूँ। श्रेय उन लोगों को जाता है जिनसे मैंने सीखा है।
वस्तुत: अधिक उम्र की अविवाहित महिलाओं के नाम के आगे सुश्री लगाया जाता है । जैसे 45-50 उम्र की अविवाहित महिलाएं ।