पोशाक के अर्थ में वेश भी लिखा जाता है और वेष भी। लेकिन सही कौनसा है? वेश या वेष? या दोनों सही हैं? चूँकि ये दोनों शब्द संस्कृत के शब्द हैं, इसलिए उसी भाषा के माध्यम से जानते हैं कि पोशाक के तौर पर वहाँ कौनसा शब्द इस्तेमाल होता है। रुचि हो तो पढ़ें।
जब मैंने वेश और वेष के बीच फ़ेसबुक पर एक पोल किया तो 39% ने कहा – वेश सही है। 36% के अनुसार वेष सही शब्द है। दोनों को सही बताने वाले शेष 25% रहे।
एक लाइन में जवाब यह कि पोशाक के अर्थ में दोनों शब्द सही हैं। संस्कृत और हिंदी दोनों ही कोशों में वेश और वेष मिलते हैं और दोनों का अर्थ है पोशाक (देखें चित्र)।

आपने देखा कि वेश के कई अर्थ हैं लेकिन पोशाक के अर्थ में इसे वेष भी लिखा जा सकता है।
वेश और वेष के बीच यह समानता बस इसी अर्थ तक सीमित है। वेश के बाक़ी जो अर्थ हैं, वहाँ वेष नहीं चलता। जैसे वेश का एक अर्थ है घुसना, दाख़िल होना लेकिन वहाँ वेष नहीं चलेगा (इसी से बना है प्रवेश)। इसी तरह वेश का अर्थ घर भी है। वहाँ भी वेष नहीं चलेगा।
जब वेश का अर्थ घर है तो घर के पास वाला घर हुआ प्रतिवेश और वहाँ रहने वाला हुआ प्रतिवेशी जिसे हिंदीवालों ने पड़ोसी बना दिया लेकिन बाँग्ला में आज भी प्रतिवेशी ही चलता है।
वेश का एक अर्थ वेश्या को दिया जाने वाला द्रव्य या उसका घर भी है (देखें चित्र)।

निष्कर्ष यह कि वेश के बहुत सारे अर्थ हैं और उनमें एक अर्थ – पोशाक – के लिए वेष भी लिखा जा सकता है। लेकिन प्रवेश का आप प्रवेष नहीं लिख सकते, न ही प्रतिवेशी को प्रतिवेषी लिखा जा सकता है।
इस वेश/वेष से ही भेस बना है, यह बताने की ज़रूरत नहीं है। हिदी में ‘व’ के ‘ब’ में बदलने के बहुत सारे उदाहरण हैं लेकिन ‘व’ के ‘भ’ में बदलने के उदाहरण गिने-चुने हैं। कुछेक जो मुझे याद आते हैं, वे हैं – वाष्प से भाप, विभूति से भभूत, चावी (पुर्तगाली) से चाभी। आपको कोई याद आता हो तो कॉमेंट में बताएँ। मैं उसे अपनी लिस्ट में जोड़ लूँगा।
वेश और वेष की तरह कोश और कोष के बारे में भ्रम की स्थिति है। इनमें से कौनसा शब्द सही है और कौनसा ग़लत या फिर दोनों सही हैं – यह जानने के लिए यहाँ क्लिक/टैप करें।