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पर्व का नाम विजयदशमी है या विजयादशमी?

विजयदशमी या विजयादशमी? यह एक ऐसा कन्फ़्यूश्ज़न है जो हर दशहरे पर उत्पन्न होता है। कुछ लोग विजयदशमी लिखते हैं, कुछ लोग विजयादशमी। और मुश्किल यह है कि इस भ्रम के निवारण में हमारा हिंदी मीडिया कोई मदद नहीं करता। शायद इसलिए कि वह ख़ुद भी भ्रमित है या उसे सही-ग़लत की परवाह ही नहीं।

अगर आप हिंदी मीडिया में देखेंगे तो आपको दोनों ही शब्द मिलेंगे। और यह भी नहीं कि एक संस्थान विजयदशमी लिख रहा है और दूसरा विजयादशमी। एक ही संस्थान की अलग-अलग ख़बरों में आपको दोनों रूप मिल जाएँगे। 

जैसे हिंदुस्तान की एक ख़बर में विजयदशमी है तो दूसरी ख़बर में विजयादशमी (देखें चित्र)।

हिंदुस्तान की एक ख़बर में विजयदशमी है तो दूसरी ख़बर में विजयादशमी।

मैंने हाल की ख़बरों को गूगल किया तो यह परिणाम निकला।

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चलिए, हिंदी मीडिया का हाल तो हमने देख लिया, अब हम जानते हैं कि सही शब्द क्या है – विजयदशमी या विजयादशमी।

सही क्या है, इसको जानने के तीन तरीक़े हैं। 1. शब्दकोशों में क्या है, 2. प्राचीन ग्रंथों में क्या है और 3. मूल शब्द क्या है।

शब्दकोशों और धर्मग्रंथों के पैमानों पर विजयादशमी ही सही ठहरता है क्योंकि इन दोनों में ही विजयादशमी है।(देखें चित्र)

हिंदी शब्दसागर में विजया और विजयादशमी का अर्थ।
धर्मग्रंथों में विजयादशमी

अब बचा सवाल कि विजयादशमी में विजय का विजया क्यों हुआ। इसके दो कारण बताए जाते हैं। एक कारण यह समझा जाता है कि दुर्गा का एक नाम विजया है, इसलिए इसे विजयादशमी कहते हैं। दूसरा कारण यह कि दशमी एक तिथि है। तिथि और दशमी दोनों स्त्रीलिंग हैं, इसलिए विजय का विजया हो गया। नाम हुआ विजयादशमी। 

इस दूसरी दलील में दम इसलिए नज़र आता है कि विजयादशमी की तरह एक विजया एकादशी भी होती है जो फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में आती है और यह विष्णु की उपासना का व्रत है। अब विष्णु की उपासना का व्रत है तो इसके नाम का दुर्गा (विजया) से तो कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए। फिर भी इसे विजया एकादशी कहा जाता है, विजय एकादशी नहीं।

कारण यही समझ में आता है कि यह भी एक तिथि है जो स्त्रीलिंग है। एकादशी भी स्त्रीलिंग है। इसीलिए विजय का विजया हो गया।

अब अंत में केवल एक प्रश्न रह जाता है। विजया और दशमी को मिलाकर लिखें या अलग-अलग? कुछ मिलाकर लिखते हैं, कुछ अलग-अलग। संस्कृत के हिसाब से लिखेंगे तो विजयादशमी ही उचित है। लेकिन हिंदी चूँकि एक वियोगात्मक भाषा है (जिसमें शब्द अलग-अलग लिखे जाते हैं, मिलाकर नहीं) और हमें लंबे शब्द पढ़ने की आदत नहीं है, इसलिए शब्दों को संस्कृत की तरह लिखने पर अकसर समस्या होती है। वैसे भी विजया और दशमी में कोई संधि तो हो नहीं रही। सो आप विजयादशमी लिखें या विजया दशमी, अर्थ में कोई अंतर नहीं आएगा।

विजया और दशमी को मिलाकर लिखने पर प्रश्न उठ सकता है कि फिर विजया एकादशी का क्या करेंगे? नरक चतुर्दशी का क्या करेंगे? उन्हें भी विजयाएकादशी या नरकचतुर्दशी लिखना होगा। आप देख ही पा रहे होंगे कि मिलाकर लिखने पर ये शब्द कितने लंबे हो जा रहे हैं।

एकरूपता और पढ़ने की सुविधा की दृष्टि से विजया दशमी बेहतर विकल्प है। वैसे कोई विजयादशमी लिखे तो भी कुछ ग़लत नहीं है। मैंने भी इस चर्चा में विजयादशमी ही लिखा है। 

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4 replies on “पर्व का नाम विजयदशमी है या विजयादशमी?”

महाशय, मैंने देखा है कि हिन्दी मीडिया Himanta Biswa Sarma को “हिमंत बिस्वा शर्मा” लिखा जा रहा है, जबकि मेरे हिसाब से असमिया में “হিমন্ত বিশ্ব শৰ্মা” (हिमन्तो बिश्व शोर्मा) लिखा जाता है क्योंकि “अ” का उच्चारण “ओ” होता है, जैसे नगालंड का “नोगालंड” में होना। इसलिये मेरे हिसाब से सही वर्तनी होगी “हिमंत/हिमन्त बिश्व शर्मा”, जैसा कि हिन्दी विकिपीडिया पर है।

मग़र यह बात समझ में नहीं आई है कि हिमंत बिश्व शर्मा जिस पार्टी के नेता थे यानी Congress, उसे हिन्दी में “कांग्रेस (अमरीकी उच्चारण)” लिखा जाता है, जबकि उच्चारण “कॉङ्रेस” अथवा “कॉन्ग्रेस” की तरफ़ इशारा करता है? आप मेरे प्रश्न का उत्तर देने की कृपा करें।

सही कह रहे हैं। Congress का सही उच्चारण कॉङ्ग्रेस ही है। लेकिन अख़बारों में स्वरमुक्त पंचमाक्षरों (ङ्, ञ्, ण्, न्, म्) को मूल रूप से लिखने की परंपरा नहीं रही। बिदी लगाई जाती है। लेकिन ‘कॉ’ के साथ बिंदी कहाँ लगाएँ। लगाएँगे तो काँ हो जाने का ख़तरा है (काँग्रेस)। इसीलिए कांग्रेस चल रहा है। आगे से 8130746360 पर संपर्क करें।

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