जनता या लोगों के अर्थ में उर्दू का एक शब्द है जिसे दो तरह से लिखा-बोला जा रहा है – अवाम और आवाम। एक फ़ेसबुक पोल से पता चला कि दो-तिहाई लोग आवाम को सही मानते हैं। क्या बहुमत का सोचना सही है? जानने में रुचि हो तो आगे पढ़ें।
अवाम सही है या आवाम? जब इसके बारे में एक फ़ेसबुक पोल किया गया तो दो-तिहाई से भी अधिक (69%) लोगों ने आवाम के पक्ष में वोट किया। बाक़ी बचे एक तिहाई में से 18% ने अवाम को और शेष ने दोनों को सही बताया।

यह पोल करने से पहले मुझे नहीं मालूम था कि इस शब्द को लेकर इतना अधिक भ्रम है कि दो-तिहाई लोग ग़लत शब्द को सही मानते हैं क्योंकि सही शब्द है अवाम। हर हिंदी-उर्दू शब्दकोश में अवाम ही है, आवाम कहीं नहीं है (देखें चित्र)। एक फ़ारसी कोश में आवाम है और उसका अर्थ दिया गया है क़र्ज़। निश्चित रूप से दोनों में कोई सीधा संबंध नहीं है।



शब्दकोश बताते हैं कि अवाम आम का बहुवचन है (देखें ऊपर का चित्र)। रचना की दृष्टि से यह सही हो सकता है कि आम से अवाम बना हो लेकिन जिस तरह किसी देश के नागरिकों के लिए अवाम शब्द का इस्तेमाल होता है, वैसे ही क्या उस देश के एक नागरिक के लिए आम का प्रयोग संभव है? मैं अगर किसी व्यक्ति से मिलूँ तो क्या मैं कह सकता हूँ कि मैं एक आम से मिला? नहीं। क्योंकि भले ही अवाम आम का बहुवचन हो, आम का संज्ञा के तौर पर प्रयोग होता ही नहीं।
शब्दकोशों में भी आम को विशेषण बताया गया है (देखें चित्र)। इसलिए जब भी आम का इस्तेमाल होगा, उसके बाद कोई-न-कोई संज्ञा होगी। आम आदमी, आम सभा, आम दिन।

बस एक ही वाक्य याद आता है जो कभी फ़िल्मों आदि में सुना है – हर आम-ओ-ख़ास को इत्तला दी जाती है कि… यहाँ आम का प्रयोग संज्ञा के तौर पर हुआ है।
एक तरह से अवाम का प्रयोग भी जनता की तरह होता है जिसका एकवचन नहीं मिलता। कहने को तो जनता का एकवचन जन हो सकता है; राजस्थान-बंगाल आदि में जन या जना का एकवचन के तौर पर प्रयोग सुना है (बाहर कोई एक जन/जना बहुत देर से लेटा हुआ है।) लेकिन वहाँ उसका अर्थ व्यक्ति के रूप में होता है। उससे जनता के एक सदस्य का भाव नहीं आता।
एक रोचक जानकारी मुझे हाल ही में मिली। वह यह कि जनता और अवाम भले ही एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं लेकिन प्रयोग करते समय एक सावधानी बरतनी ज़रूरी है। सावधानी यह कि जनता के साथ एकवचन वाली क्रिया लगती है जबकि अवाम के साथ बहुवचन वाली।
नीचे अबुल मुजाहिद ज़ाहिद की ग़ज़ल का दूसरा शे’र देखें जिसमें लिखा है – कोई चाहता ही कब है जो अवाम चाहते हैं। अगर यहाँ अवाम की जगह जनता कर दें तो यह वाक्य इस तरह लिखा जाएगा – कोई चाहता ही कब है जो चाहती है जनता। ‘हैं’ का ‘है’ हो जाएगा।

यानी देश की जनता चुप क्यों ‘है’, यह लिखना सही है मगर देश का अवाम चुप क्यों ‘है’, यह सही नहीं होगा। लिखना चाहिए, देश या मुल्क ‘के’ अवाम चुप क्यों ‘हैं’? यानी यहाँ अवाम का प्रयोग लोग की तरह होगा। जैसे ‘देश के लोग चुप क्यों हैं’, उसी तरह ‘देश के अवाम चुप क्यों हैं’।