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244. इंक़लाब ज़िंदाबाद या इन्क़लाब ज़िदाबाद?

क्रांति या विप्लव के लिए उर्दू का जो शब्द हिंदी में भी इस्तेमाल किया जाता है, उसे कैसे लिखा जाएगा – इंक़लाब, इन्क़लाब या इनक़लाब? जब यह सवाल फ़ेसबुक पर पूछा गया तो 69% लोगों ने इंक़लाब के पक्ष में वोट दिया। 23% ने इन्क़लाब को सही बताया जबकि शेष बचे 8% ने इनक़लाब को चुना। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।

इंक़लाब, इन्क़लाब या इनक़लाब में सही क्या है? यह हम नीचे जानेंगे।

पहले हम यह समझ लें कि किसी दूसरी भाषा से आए शब्द को हिंदी में लिखने (यानी लिप्यंतर करने) के लिए हम क्या नियम अपनाते हैं। क्या हम उसकी स्पेलिंग देखते हैं या उसका उच्चारण देखते हैं? निश्चित रूप से दोनों देखते हैं क्योंकि अव्वल तो स्पेलिंग से ही उच्चारण का अंदाज़ा हो जाता है मगर कई बार धोखा भी हो जाता है जैसे Know की स्पेलिंग देखते हुए तो उसे हिंदी में ‘क्नो’ या ‘क्नाउ’ लिखा जाना चाहिए लेकिन उसका वास्तविक उच्चारण है ‘नो’ और हम ‘नो’ ही लिखते और बोलते हैं। इसलिए किसी भी शब्द का लिप्यंतर करते समय उच्चारण का सबसे अधिक महत्व है।

जिस शब्द की हम बात कर रहे हैं, उसमें भी हम स्पेलिंग और उच्चारण दोनों पर ध्यान देंगे। पहले स्पेलिंग।

इस शब्द की उर्दू/फ़ारसी/अरबी स्पेलिंग (اِنقلاب) में ‘इ’ के बाद ‘न’ वर्ण है (इसे नून कहते हैं, हम यहाँ इसे ‘न’ वर्ण कहेंगे) और इस ‘न’ वर्ण के ऊपर हल् का चिह्न (साकिन) लगा है जिससे पता चलता है कि इसके साथ स्वर नहीं है। लेकिन इस ‘न’ वर्ण का उच्चारण क्या होगा?

अंग्रेज़ी के N की ही तरह अरबी-फ़ारसी परिवार में भी ‘न’ वर्ण के कई नासिक्य (नाक से बोले जाने वाले) उच्चारण हो सकते हैं। यह ‘ङ्’ (अंगारः) हो सकता है, ‘ञ्’ (अंजाम) हो सकता है और ‘न्’ (इंतहा) भी हो सकता है। इन सभी शब्दों के उर्दू रूपों में अलिफ़ (अ) के बाद नून (न) लिखा जाएगा मगर तीनों का उच्चारण अलग-अलग होगा।

हमारी खोज बस यह है कि हम जिस शब्द की बात कर रहे हैं, उसमें ‘इ’ की ध्वनि के बाद कौनसी ध्वनि है? वह ‘ङ्’ है या ‘न्’ है? यदि ‘ङ्’ है तो हिंदी में उसे इङ्क़लाब या इंक़लाब लिखा जाएगा। यदि ‘न्’ है तो उसे इन्क़लाब लिखा जाएगा।

इसे ink और income से समझते हैं। आप जानते हैं कि ink में भी n है और income में भी n है। दोनों में n के बाद ‘‘ की ध्वनि है (k और c) जैसी कि हमारे चर्चित शब्द में है (इंक़लाब/इन्क़लाब/इनक़लाब)। आप पाएँगे कि ink में n का उच्चारण ‘ङ्‘ हो रहा है – इङ्क/इंक जबकि income में n का उच्चारण ‘न्‘ हो रहा है – इन्कम। दोनों शब्द बोलकर देखिए।

अब हमें केवल यह पता लगाना है कि इस शब्द का जो शुरुआती हिस्सा है, वह ink (इंक/इङ्क) वाला ङ्(क) है या income (इन्कम) वाला न्(कम)?

इस बात का पता आप दो तरह से लगा सकते हैं। कोई भी उर्दू-हिंदी शब्दकोश देखें कि वहाँ क्या लिखा है। दूसरा, गूगल ट्रांसलेट पर जाकर क्रांति का उर्दू वर्ड सर्च करें और जो शब्द आए, उसका उच्चारण सुनें।

जहाँ तक शब्दकोश की बात है तो मद्दाह के शब्दकोश में इंक़लाब नहीं है। मगर वहाँ इन्क़लाब और इनक़लाब भी नहीं हैं। वहाँ पर है इन्क़िलाब।

मद्दाह के कोश में इन्क़िलाब, इन्क़िलाबत और इन्क़िलाबी।

जी हाँ, मूल अरबी शब्द इन्क़िलाब ही है। वहीं से यह फ़ारसी में गया, फ़ारसी से उर्दू में आया और उर्दू या फ़ारसी से सीधे हिंदी में। हिंदी में इसका एक और रूप भी प्रचलित हो गया – इन्क़लाब। आज के समय में हिंदी में इन्क़लाब ही चलता है, इसलिए मैंने इसी पर पोल किया।

अब दूसरा सवाल। ऊपर शब्दकोश की एंट्री देखकर यह तो समझ में आया कि इंक़लाब ग़लत है और इन्क़लाब (इन्क़िलाब) सही है, मगर क्या इनक़लाब भी ग़लत है? यदि हाँ तो हिंदी के शब्दकोशों में इनक़लाब क्यों दिया हुआ है? (देखें चित्र)

हिंदी के शब्दकोशों में इनकलाब/इनक़लाब है।

इसका जवाब यह कि हिंदी में किसी शब्द या शब्दांश (सिल्अबल) के अंत में आने वाले ‘अ’ स्वर का उच्चारण आम तौर पर नहीं होता। इसलिए कोई चाहे इन्क़लाब लिखें या इनक़लाब, उच्चारण एक जैसा ही होगा।

समझने के लिए इन्‍क़लाब को शब्दांशों में तोड़ें। होगा इन्+क़+लाब्। इसमें ‘इन्’ को यदि ‘इन’ कर दें, तब भी शब्द का वही उच्चारण होगा – इन(इन्)+क़+लाब्।

जैसा कि मैंने ऊपर कहा, जब किसी विदेशी शब्द को हिंदी में लिखते हैं तो लिप्यंतर करते समय उसके उच्चारण पर अधिक ध्यान देते हैं, मूल भाषा में उसकी स्पेलिंग पर कम। इसलिए इनक़लाब की स्पेलिंग भले ही अरबी/फ़ारसी/उर्दू स्पेलिंग से अलग हो (वहाँ इन् है, यहाँ इन), मगर उसका उच्चारण हिंदी में वही निकलता है जो इन्क़लाब का है। इसलिए इसे भी सही माना जा सकता है। इसी कारण हिंदी के कोशकारों ने इनक़लाब को अपने कोश में स्थान दिया है।

लेकिन इसमें केवल एक समस्या है। इन्क़लाब लिखेंगे तो हर कोई उसे इन्+क़+लाब् ही पढ़ेगा परंतु यदि इनक़लाब लिखेंगे तो जो इस शब्द और उसके उच्चारण से अपरिचित व्यक्ति इसे इन+क़लाब् के बजाय इनक़्+लाब् भी पढ़ सकता है।

इस शब्द पर रिसर्च करते हुए मुझे एक रोचक बात मालूम हुई। उम्मीद करता हूँ कि यह जानकारी सही ही होगी। जब 1942 में अमिताभ बच्चन का जन्म हुआ तो उनके पिता ने ‘इन्क़िलाब ज़िंदाबाद‘ के नारे से प्रभावित होकर उनका नाम इन्क़िलाब श्रीवास्तव रखा था। लेकिन बाद में कवि सुमित्रानंदन पंत के सुझाव पर उनका नाम बदलकर अमिताभ किया गया। अमिताभ का अर्थ आप जानते ही होंगे – जिसकी आभा कभी समाप्त न हो। अमिताभ का एक अर्थ बुद्ध भी है।

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