Categories
आलिम सर की हिंदी क्लास शुद्ध-अशुद्ध

11. शुद्ध करने की क्रिया यानी शुद्धिकरण या शुद्धीकरण?

जब शुद्धिकरण और शुद्धीकरण पर पोल किया गया तो मुझे पूर्वाभास था कि अधिकतर लोग शुद्धिकरण को ही सही बताएँगे क्योंकि हर जगह यही लिखा जाता है। शब्दकोशों में भी यही है। लेकिन क्या यह सही है? जानने के लिए आगे पढ़ें।

सही है शुद्धीकरण। इसी तरह प्रस्तुति से प्रस्तुतीकरण, तुष्टि से तुष्टीकरण आदि।

आप पूछ सकते हैं कि शुद्धि से तो शुद्धिकरण होना चाहिए, शुद्धीकरण कैसे हो सकता है। इसी तरह प्रस्तुति से प्रस्तुतिकरण या तुष्टि से तुष्टिकरण होना चाहिए।

कारण यह है कि हम ग़लत समझते हैं कि ये शब्द शुद्धि, प्रस्तुति या तुष्टि में करण प्रत्यय लगने से बने हैं। शुद्धीकरण, प्रस्तुतीकरण और तुष्टीकरण शुद्धि, प्रस्तुति और तुष्टि से बने ही नहीं हैं। ये बने हैं शुद्ध, प्रस्तुत और तुष्ट से। जब इन शब्दों के बाद करण जुड़ता है तो इन शब्दों का आख़िरी स्वर ई में बदल जाता है। जैसे बाज़ार में करण जुड़ता है तो बाज़ारीकरण हो जाता है, बाज़ारकरण तो नहीं होता। उसी तरह यंत्र में करण जुड़ता है तो यंत्रीकरण हो जाता है, न कि यंत्रकरण। ठीक उसी तरह जब शुद्ध, प्रस्तुत और तुष्ट के बाद करण जुड़ता है तो वह शुद्धीकरण, प्रस्तुतीकरण और तुष्टीकरण हो जाता है।

जो बात मैंने यहाँ सामान्य भाषा में बताई, उसे व्याकरण के आधार पर बहुत अच्छी तरह समझाया है भाषाचिंतक योगेद्रनाथ मिश्र ने। इस विषय में उनका मत आप नीचे पढ़ सकते हैं।

करण से पहले ई क्यों लगता है?

  1. ‘करण’ प्रत्यय किसी शब्द में अकेले नहीं लगता। मूल शब्द तथा ‘करण’ प्रत्यय के बीच ‘च्वि’ प्रत्यय आ जाता है। शब्द रचना की प्रक्रिया में ‘च्वि’ प्रत्यय के स्थान पर ‘ई’ का आदेश होता है। यानी कि ‘च्वि’ प्रत्यय हट जाता है और उसके स्थान पर ‘ई’ स्वर आ जाता है। मूल शब्द के अंत में कोई भी स्वर हो, वह हट जाता है और मूल शब्द के अंत में ‘ई’ की मात्रा जुड़ जाती है। फिर उसमें ‘करण’ प्रत्यय जुड़ता है।
  2. ‘च्वि’ प्रत्यय का काम है, जो चीज अस्तित्व में नहीं है, उसे अस्तित्व में लाने का भाव व्यक्त करना। यानी करण प्रत्यय से बनने वाले शब्द भाववाचक संज्ञा होते हैं।
  3. यह शब्द रचना की प्रक्रिया मूलतः संस्कृत की है। किंतु संस्कृत में इसका प्रयोग ज़्यादा नहीं होता। 
  4. शब्द रचना की यह प्रक्रिया हिंदी में बहुत प्रॉडक्टिव है। यानी हिंदी में शब्द रचना की इस प्रक्रिया का प्रयोग बहुत ज़्यादा होता है। ज़्यादातर अंग्रेजी के ‘TION’ वाले शब्दों के अनुवाद में किया जाता है।
  5. यह प्रत्यय संस्कृत के शब्दों के साथ-साथ अंग्रेजी और उर्दू के शब्दों में भी लगता है। जैसे • कंप्यूटर से कंप्यूटरीकरण • शहर से शहरीकरण • बाजार से बाजारीकरण
  6. ’शुद्ध’ शब्द के साथ करण प्रत्यय लगता है यानी जो शुद्ध नहीं है, उसे शुद्ध करना यानी ‘शुद्धीकरण’। अन्य उदाहरण • सरल से सरलीकरण। यानी जो सरल नहीं है, उसे सरल बनाना। • साधारण से साधारणीकरण। यानी जो साधारण नहीं है, उसे साधारण बनाना।
  7. कुछ अपवाद भी हैं। जैसे ‘चूड़ाकरण’। यहाँ ‘चूड़ीकरण’ नहीं हुआ है।
  8. याद रखिए, ‘करण’ प्रत्यय के योग से बननेवाले शब्दों में ‘करण’ के पहले ‘ई’ अनिवार्यतः होती है, कुछ अपवादों को छोड़कर जिनकी संख्या बहुत कम या नहीं के बराबर है।
  9. योगेंद्रनाथ जी की बातों का और इस लेख का एक लाइन में यही निष्कर्ष है कि करण से ख़त्म होनेवाले किसी शब्द से पहले हमेशा बड़ी ई की मात्रा होगी। (कुछेक अपवाद ऊपर दिए गए हैं।) यह नियम याद रखिए तो आप कभी भी ऐसे शब्दों में ग़लती नहीं करेंगे।

शुद्धिकरण/शुद्धीकरण से ही मिलता-जुलता एक और शब्द है जिसे दो तरह से लिखा जाता है – सुंदरीकरण और सौंदर्यीकरण। इसमें करण से पहले ‘इ’ या ‘ई’ लगाने पर कोई विवाद नहीं है। दोनों ही रूपों में ई (री) ही लगता है। मसला है कि शुरू में सुंदर होगा या सौंदर्य। इसपर हुई चर्चा को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक या टैप करें।

पसंद आया हो तो हमें फ़ॉलो और शेयर करें

अपनी टिप्पणी लिखें

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial