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क्लास 4 – तर्क से तार्किक, धर्म से धार्मिक, अध्यात्म से?

गाँधीजी को अधिकतर लोग धार्मिक मानते हैं लेकिन उनकी दिलचस्पी धर्म से अधिक अध्यात्म में थी। हम कह सकते हैं कि वे धार्मिक नहीं, आध्यात्मिक थे, और कई मामलों में तार्किक भी। जी नहीं, मैं आज गाँधीजी के विचारों पर कोई क्लास नहीं ले रहा। मैं केवल बता रहा हूँ कि जब तर्क, धर्म और अध्यात्म जैसे शब्दों के बाद ‘इक’ लगता है तो कैसे शब्द के आरंभ का ‘अ’ स्वर ‘आ’ में बदल जाता है। लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं भी होता। कब होता है, कब नहीं होता, जानने के लिए आगे पढ़ें।

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