दुविधा की स्थिति के लिए उर्दू का एक शब्द है जिसे पसोपेश भी लिखा जाता है और पशोपेश भी। सही है पसोपेश क्योंकि पस का मतलब है पीछे और पेश का मतलब है आगे। पसोपेश के अलावा एक और शब्द भी है – पेशोपस। क्या वह भी सही है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
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किसी के बारे में ‘विश्वास और अभिमान के साथ दावा करने’ के अर्थ में ‘दम भरना’ सही है या ‘दंभ भरना’? मीडिया में आपको दोनों मिलेंगे। हालत यह है कि एक ही समूह के दो अख़बारों – जागरण और नई दुनिया – में कहीं ‘दम भरना’ लिखा जा रहा है तो कहीं ‘दंभ भरना’। सही क्या है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
इस क्लास में हम ‘ने, पर, को’ आदि के बारे में बात करेंगे जिन्हें व्याकरण की भाषा में विभक्तियाँ या परसर्ग कहते हैं। कई स्थानों पर इनको कारक चिह्न भी लिखा गया है। आज चर्चा का मुद्दा यह है कि कहाँ इन विभक्तियों या परसर्गों को पिछले शब्द से मिलाकर लिखा जाएगा और कहाँ अलग।
हिंदी में ‘यह’ और ‘ये’ का कहाँ इस्तेमाल करना है, इसपर बहुत भ्रम है। आज की क्लास में हम इसी के बारे में बात करेंगे कि कहाँ ‘यह’ और ‘वह’ का इस्तेमाल करना चाहिए और कहाँ ‘वह’ और ‘वे’ का।
अंग्रेज़ी में बहुवचन बनाते समय संज्ञाओं और सर्वनामों का रूप कुछेक अपवादों को छोड़कर हमेशा बदलता है। लेकिन हिंदी में ऐसा नहीं है। कभी बदलता है, कभी नहीं। आज की क्लास में हम यही जानेंगे कि कब बहुवचन में शब्दों का रूप बदलता है और कब नहीं।